Tuesday, 26 July 2011

है कुछ बाते आधी अधूरी सी...

है कुछ बाते आधी अधूरी सी,
कुछ कही कुछ अनकही सी...

वो राते तेरी मीठी बाते,
कुछ सुनी कुछ अनसुनी सी,
दे जाती है बस तेरी यादे
कुछ अपनी कुछ परायी सी....

ना है धड़कने और वो बेताबी भी,
अरमानो की सियाही हुई अब सुखी सी,
फिर भी लिखती है क्यों ये हवाए...
कहानी तेरी, थी कुछ अपनी सी...

याद तेरी मुझे आई है जब भी,
भीगी निगाहे हुई है कसक थोड़ी सी...
सुनहरी दुनिया हो जाती है धुंधली..
थी जो कभी प्यारी और मेरे सपनो सी...

होठो पे हसी और शकल मेरी रोनी सी..
फिर भी नहीं समझते वो बात एक छोटी सी...
अब भी
है कुछ बाते आधी अधूरी सी..
कुछ कही कुछ अनकही सी...

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